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विजय दिवस पर मुख्यमंत्री ने भूतपूर्व सैनिकों, वीरांगनाओं को शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह् देकर सम्मानित किया

देहरादून, न्यूज़ आई : वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सशस्त्र सेनाओं की ऐतिहासिक जीत के 52 वर्ष पूरे होने पर युद्ध के वीर सैनिकों के शौर्य, पराक्रम व बलिदान को याद किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांधी पार्क स्थित शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। निदेशालय सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास की ओर से गांधी पार्क में आयोजित विजय दिवस श्रद्धांजलि एवं सम्मान समारोह में पूर्व सैनिकों के साथ ही वीर नारी, वीरता पुरस्कृत व विभिन्न स्कूलों से छात्र- छात्राएं शामिल हुए। सांस्कृतिक टीम ने वीरों को नमन व वंदन करते हुए सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन भारतीय सेना के वीर जवानों के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का उत्सव मनाने का दिन है। 1971 का युद्ध अमानवीयता पर मानवता, दुराचार पर सदाचार और अन्याय पर न्याय की जीत का युद्ध था। आज ही के दिन वर्ष 1971 में पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों ने हमारे वीर बहादुर सैनिकों के समक्ष घुटने टेके थे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी भी सेना का यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था। यह युद्ध भारत के वीरों के अटल संकल्प और बलिदान का प्रत्यक्ष उदाहरण था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की भूमि, देवभूमि होने के साथ-साथ पराक्रम और बलिदान की भूमि भी है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीर भूमि उत्तराखंड के 255 जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था। इस युद्ध में अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देने वाले प्रदेश के 74 सैनिक विभिन्न वीरता पदकों से सम्मानित हुए थे। ऐसे सभी वीरों के बलिदान की अमर गाथाएं आज भी हमारे युवाओं को प्रेरणा देने का काम करती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन के अनुरूप देहरादून में पांचवे धाम सैन्य धाम का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह धाम उन सभी वीरों को हमारी ओर से एक विनम्र श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किये बिना तिरंगे की शान के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। यह सैन्य धाम आने वाली पीढ़ियों के लिए राष्ट्र आराधना के एक दिव्य प्रेरणा पुंज के रूप में कार्य करेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जवानों का मनोबल तेजी से बढ़ा है। आज हमारे सैनिक अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं, उनकी सहायता और सुरक्षा के लिए विश्व स्तरीय उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। आज हमारे सैनिकों का मनोबल इतना ऊंचा है कि वो दुश्मन के घर में घुस कर उस पर कार्रवाई करने में समर्थ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्य सेवक के रूप में उनका प्रयास रहता है कि सैन्य परिवारों के लिए विशेष योजनाएं बने, जिससे एक सैनिक को युद्ध में लड़ते समय अपने परिवार की चिंता न हो। राज्य सरकार प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सैनिकों और उनके परिवार को मिलने वाली सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड के वीरता पदक से सम्मानित सैनिकों को देय एकमुश्त अनुदान राशि में भी वृद्धि की है। जिसके तहत परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिक को 30 लाख से 50 लाख, महावीर चक्र 20 लाख से 35 लाख, कीर्ति चक्र 20 लाख से 35 लाख, वीर चक्र और शौर्य चक्र 15 से 25 लाख और सेना गैलेंट्री मेडल 07 लाख से 15 लाख करने को मंजूरी दी गई। उत्तराखण्ड से द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों की वीरांगनाओं एवं वेटरन की पेंशन प्रतिमाह 8 हजार रूपये से बढ़ाकर 10 हजार रूपये की है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और उनकी विधवाओं की प्रतिमाह पेंशन 21 हजार से बढ़ाकर 25 हजार की गई है।

इस मौके पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, जिलाधिकारी सोनिका, राजपुर रोड विधायक खजानदास, पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी आदि मौजूद रहे।

सैनिक कल्याण सचिव दीपेंद्र चौधरी ने कहा कि आज ही के दिन पाक सेना ने हमारे सैनिकों के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। विजय दिवस सेना के शौर्य व पराक्रम का दिवस है। एडमिरल (सेनि) ओम प्रकाश राणा ने 1971 में नेवी के विभिन्न मिशन के बारे में बताया। कहा कि तीनों सेनाओं के बेहतर समन्वय से ही हम विजय रहे। आज धरातल पर दिखता है कि काम हो रहा है।

मेजर जनरल (सेनि) समीर सबरवाल ने कहा कि हमें ऐसे नेताओं का हाथ पकड़कर चलना चाहिए जो परिवार से ज्यादा देश हित के बारे में सोचें व उन्नति के शिखर पर पहुंचाएं। कहा कि देश में आज बदलाव आया है, सभी मानते हैं कि देश सुरक्षित है।